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लेखनी-कविता - मेरी डायरी- विजय पोखरणा "यस"11-Jan-2023


📙📘📗मेरी डायरी📗📘📙

📖📖📖📖📖📖📖📖📖

मैं अनमोल हूं
बोल नही सकती
लेकिन बहुत बोल छुपा रक्खे हैं
दिन भर का रोजनामचा छुपा रक्खा हैं 

पुरानी यादों को सहेजे हैं
दुःख सुख सभी भरे हैं
रात को मेरे बिना नींद नहीं
मेरे में अंतरंग क्षण का छुपाव हैं

फुर्सत में मैं बेस्ट सखी हूं
मेरा कोई प्रतिद्वंद्वी नहीं
मेरा कोई सानी नहीं
मैं कभी बूढ़ी नहीं हो सकती

मैं प्रेरणा हूं
मैं जागता सपना हूं
मैं अपने आप में अनमोल हूं
मेरे दिल का कोई मोल नहीं

मुझे चुरा कर किसी को दुःख
और किसी को खुशी मिलती हैं
नित मुझमें रंग भरे बगैर चैन नहीं
मैं प्रेरणा देकर आनंदित होती हूं।

'मेरी डायरी' कि अभिलाषा है
वह सदैव प्रेरणामयी विजय कि बनी रहे।।

✍️ विजय पोखरणा "यस"
अजमेर 

 


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11 Comments

Rajeev kumar jha

12-Jan-2023 07:26 PM

शानदार

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Abhilasha deshpande

12-Jan-2023 05:48 PM

अकल्पनीय वर्णन आदरणीय

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VIJAY POKHARNA "यस"

12-Jan-2023 07:25 PM

Credit goes to you. 🙏🙏👏👏

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अदिति झा

12-Jan-2023 04:31 PM

Nice 👍🏼

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VIJAY POKHARNA "यस"

12-Jan-2023 07:24 PM

🙏🙏

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